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गर्भावस्था में पीलिया: कारण, लक्षण, जोखिम और उपचार — हर्ष हॉस्पिटल, हिम्मतनगर |
गर्भावस्था एक महिला के जीवन का अनमोल चरण होता है, लेकिन यह समय कुछ जटिलताओं को भी जन्म दे सकता है। उन्हीं में से एक है पीलिया (Jaundice in Pregnancy)। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर ठीक से काम नहीं करता और रक्त में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे त्वचा और आंखें पीली हो जाती हैं।
हर्ष हॉस्पिटल, हिम्मतनगर में हम महिलाओं की संपूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल प्रदान करते हैं। इस लेख में हम गर्भावस्था के दौरान पीलिया के हर पहलू को विस्तार से समझाएंगे।
🔬 पीलिया क्या है?
पीलिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में बिलीरुबिन नामक यौगिक की अधिकता होती है। यह यौगिक तब बनता है जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं टूटती हैं। लिवर का कार्य इसे बाहर निकालना होता है, लेकिन जब लिवर इस कार्य में असमर्थ हो, तो बिलीरुबिन जमा होने लगता है और पीलिया हो जाता है।
🔍 गर्भावस्था में पीलिया के प्रमुख कारण:
1. इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस ऑफ प्रेग्नेंसी (ICP):
गर्भावस्था की एक विशेष लिवर संबंधित समस्या है जिसमें पित्त का प्रवाह रुक जाता है। इससे त्वचा पर खुजली और पीलापन होता है।
2. वायरल हेपेटाइटिस (Hepatitis A, B, C, E):
यह लिवर में संक्रमण उत्पन्न करता है और गंभीर पीलिया का कारण बन सकता है।
3. एक्यूट फैटी लिवर ऑफ प्रेग्नेंसी (AFLP):
एक दुर्लभ लेकिन जानलेवा स्थिति जो तीसरी तिमाही में लिवर की विफलता का कारण बन सकती है।
4. हेमोलिटिक एनीमिया:
जब शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं अत्यधिक टूटती हैं, तो बिलीरुबिन की मात्रा असामान्य रूप से बढ़ जाती है।
5. गॉलब्लैडर स्टोन और बाइल डक्ट ब्लॉकेज:
पित्त का प्रवाह बाधित होने से लिवर पर असर पड़ता है और पीलिया उत्पन्न हो सकता है।
⚠️ लक्षण (Symptoms):
- त्वचा और आंखों का पीला होना
- गहरे रंग का पेशाब
- हल्के रंग का मल
- अत्यधिक थकान
- उल्टी, मतली
- शरीर में खुजली, विशेष रूप से हथेलियों और पैरों में
- भूख न लगना
🩺 संभावित जोखिम (Complications):
- भ्रूण की मृत अवस्था (Fetal death)
- समय से पहले प्रसव (Preterm labor)
- नवजात में पीलिया
- मां में लिवर फेलियर
- प्लेसेंटा की कार्यक्षमता पर प्रभाव
🧪 जांच:
- लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT)
- सीरम बिलीरुबिन टेस्ट
- हिपेटाइटिस वायरल मार्कर टेस्ट
- अल्ट्रासोनोग्राफी
- कोलेस्टेसिस के लिए बाइल एसिड टेस्ट
💊 इलाज और मैनेजमेंट:
- सही समय पर निदान और इलाज जीवन रक्षक साबित हो सकता है।
- डॉक्टर स्थिति के अनुसार दवाएं (UDCA आदि) देते हैं।
- गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती और निगरानी की आवश्यकता हो सकती है।
- गर्भावस्था के अंतिम चरण में डिलीवरी समय से पहले की जा सकती है यदि मां और शिशु की सेहत पर खतरा हो।
🧘 देखभाल के उपाय (Home Tips):
- संतुलित और हल्का भोजन लें।
- बहुत सारा पानी पीएं।
- तैलीय, मसालेदार और बाहर का खाना टालें।
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार नियमित जांच कराएं।
- लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल जाएं।
📅 कब डॉक्टर से संपर्क करें?
- आंखों/त्वचा में अचानक पीलापन
- गंभीर खुजली
- अत्यधिक थकान और कमजोरी
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
- गर्भ में शिशु की हलचल कम होना
🤝 हर्ष हॉस्पिटल क्यों चुनें?
- अनुभवी प्रसूति और लिवर रोग विशेषज्ञ
- 24x7 महिला और नवजात देखभाल सेवाएं
- अत्याधुनिक जांच सुविधाएं
- समर्पित स्टाफ और इमरजेंसी मैनेजमेंट
✅ निष्कर्ष:
गर्भावस्था में पीलिया एक गंभीर स्थिति हो सकती है लेकिन समय पर निदान और इलाज से मां और शिशु दोनों को सुरक्षित रखा जा सकता है। हर्ष हॉस्पिटल, हिम्मतनगर में हम गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित और विश्वसनीय चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अगर आप गर्भावस्था में पीलिया के लक्षण महसूस करें, तो आज ही हमसे संपर्क करें।
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