Monday, August 18, 2025

डिहाइड्रेशन (Dehydration): लक्षण, कारण और बचाव के आसान उपाय | Harsh Hospital, Himatnagar

डिहाइड्रेशन (Dehydration): लक्षण, कारण और बचाव के आसान उपाय | Harsh Hospital, Himatnagar

 डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना। यह समस्या गर्मियों में ज़्यादा देखी जाती है लेकिन किसी भी मौसम में हो सकती है। समय पर ध्यान न देने पर यह गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।


डिहाइड्रेशन के प्रमुख कारण 🚰

  • पर्याप्त पानी न पीना
  • बहुत अधिक पसीना आना
  • दस्त या उल्टी
  • तेज़ बुखार
  • डायबिटीज़ या अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ


डिहाइड्रेशन के लक्षण ⚠️

  1. लगातार प्यास लगना
  2. गहरे रंग का मूत्र (भूरा या गहरा पीला)
  3. चक्कर आना और कमजोरी
  4. त्वचा और होंठ का सूखना
  5. सिरदर्द और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
  6. मांसपेशियों में ऐंठन


डिहाइड्रेशन से बचाव के उपाय ✅

  • दिनभर में कम से कम 8–10 गिलास पानी पिएं।
  • नारियल पानी, छाछ, नींबू पानी और ताज़ा फलों का रस शामिल करें।
  • बाहर जाते समय हमेशा पानी की बोतल साथ रखें।
  • बच्चों और बुजुर्गों को समय-समय पर तरल पदार्थ देते रहें।
  • ज्यादा पसीना आने पर ORS या इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन करें।


कब डॉक्टर से संपर्क करें ❗

  • पेशाब बिल्कुल बंद हो जाए
  • लगातार चक्कर या बेहोशी महसूस हो
  • तेज़ बुखार, उल्टी या दस्त के साथ पानी की कमी हो जाए

ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है।

👉 Harsh Hospital, Himatnagar आपकी सेहत और सुरक्षा का ध्यान रखने के लिए हमेशा तैयार है।

निष्कर्ष

डिहाइड्रेशन से बचने का सबसे आसान तरीका है – समय-समय पर पानी पीना और शरीर को हाइड्रेट रखना। सही समय पर ध्यान देकर आप गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकते हैं।

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Saturday, August 16, 2025

🌿 आयरन-समृद्ध भोजन का महत्व | Harsh Hospital, Himatnagar

🌿 आयरन-समृद्ध भोजन का महत्व | Harsh Hospital, Himatnagar


 आयरन हमारे शरीर के लिए बेहद ज़रूरी खनिज है। यह हीमोग्लोबिन का हिस्सा है जो खून के ज़रिए ऑक्सीजन को हर अंग तक पहुँचाता है। आयरन की कमी से एनीमिया, कमजोरी, थकान और चक्कर जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। इसलिए हर महिला और पुरुष को अपने आहार में आयरन-युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करना चाहिए।


🌟 आयरन के मुख्य लाभ

  1. शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई बनाए रखता है।
  2. इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
  3. दिमाग़ और मांसपेशियों के लिए ऊर्जा का स्रोत है।
  4. गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए बेहद आवश्यक।
  5. थकान और एनीमिया से बचाव करता है।


🍎 आयरन-युक्त भोजन के स्रोत

  • हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ – पालक, मेथी, सरसों का साग
  • फल – अनार, सेब, तरबूज, किशमिश
  • सूखे मेवे – खजूर, बादाम, काजू
  • अनाज और दालें – मसूर दाल, चना, राजमा
  • गुड़ और बीज – गुड़, कद्दू के बीज, तिल
  • नॉन-वेज विकल्प – मछली, चिकन, लीन मीट


🥗 आयरन के अवशोषण को कैसे बढ़ाएँ?

  • ✔️ आयरन-युक्त भोजन के साथ विटामिन C वाले फल (नींबू, संतरा, आंवला) खाएँ।
  • ❌ भोजन के तुरंत बाद चाय या कॉफी न लें, इससे आयरन अवशोषण कम हो जाता है।


👩‍⚕️ किन्हें सबसे ज़्यादा आयरन की आवश्यकता है?

  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएँ
  • किशोर लड़कियाँ और महिलाएँ
  • एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति
  • बच्चे और बुज़ुर्ग


✅ निष्कर्ष

आयरन-युक्त भोजन शरीर को मज़बूत बनाता है और कई बीमारियों से बचाता है।

Harsh Hospital, Himatnagar हमेशा आपके स्वस्थ जीवन के लिए समर्पित है।


🔖 हैशटैग्स

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Friday, August 15, 2025

केगल एक्सरसाइज़: पेल्विक हेल्थ के लिए जादुई उपाय – 5 बड़े फायदे

 

केगल एक्सरसाइज़: पेल्विक हेल्थ के लिए जादुई उपाय – 5 बड़े फायदे

आजकल की लाइफस्टाइल में लोग अपनी पेल्विक हेल्थ (Pelvic Health) पर ध्यान नहीं देते, जबकि यह हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य का अहम हिस्सा है। पेल्विक फ्लोर मसल्स कमजोर होने से ब्लैडर लीक, यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस, सेक्सुअल हेल्थ में कमी और डिलीवरी के बाद की समस्याएं आम हो जाती हैं।

केगल एक्सरसाइज़ (Kegel Exercises) एक सरल, उपकरण-रहित व्यायाम है जो पेल्विक मसल्स को मजबूत बनाता है और कई हेल्थ प्रॉब्लम्स से बचाता है।

1. पेल्विक फ्लोर मसल्स की स्ट्रेंथ बढ़ाना

पेल्विक फ्लोर मसल्स मूत्राशय, गर्भाशय और आंतों को सहारा देते हैं।

  • समस्या: उम्र, प्रेग्नेंसी, मोटापा और हार्मोनल बदलाव से ये मसल्स कमजोर हो जाते हैं।
  • समाधान: केगल एक्सरसाइज़ इन मसल्स को टारगेट कर उन्हें मजबूत बनाती है।

📌 लॉन्ग-टर्म बेनिफिट: बैक पेन में कमी, बेहतर कोर सपोर्ट और मूवमेंट में आसानी।


2. ब्लैडर कंट्रोल में सुधार

बार-बार पेशाब आना, छींकते या हंसते समय पेशाब लीक होना (Urinary Incontinence) पेल्विक फ्लोर मसल्स की कमजोरी का संकेत है।

  • केगल कैसे मदद करता है: यह मसल्स को इतना मजबूत बना देता है कि वे ब्लैडर पर सही नियंत्रण रख सकें।
  • किसके लिए फायदेमंद:
  • डिलीवरी के बाद महिलाएं
  • प्रोस्टेट सर्जरी के बाद पुरुष
  • वृद्ध लोग जिनमें ब्लैडर लीक की समस्या है


3. प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के बाद रिकवरी

डिलीवरी के दौरान पेल्विक मसल्स पर ज़्यादा दबाव आता है, जिससे वे खिंच जाते हैं।

  • समस्या: डिलीवरी के बाद यूरिन लीक, लोअर बैक पेन, और पेल्विक प्रोलैप्स की संभावना बढ़ जाती है।
  • समाधान: केगल एक्सरसाइज़ से मसल्स का टोन और स्ट्रेंथ वापस आती है, जिससे रिकवरी तेज होती है।


4. सेक्सुअल हेल्थ में सुधार

मजबूत पेल्विक मसल्स सेक्सुअल फंक्शन को बेहतर बनाते हैं।

  • महिलाओं में: ब्लड फ्लो बढ़ता है, जिससे इंटिमेसी और सैटिस्फैक्शन बढ़ता है।
  • पुरुषों में: इरेक्शन क्वालिटी और कंट्रोल में सुधार।


5. आसान, सुरक्षित और बिना उपकरण

  • कोई जिम की जरूरत नहीं: आप इसे कहीं भी कर सकते हैं – घर, ऑफिस या ट्रैवल में।
  • सभी उम्र के लिए: 18 से 80 वर्ष तक के लोग सुरक्षित रूप से इसे कर सकते हैं।
  • कोई साइड इफेक्ट नहीं: बस सही तकनीक ज़रूरी है।


केगल एक्सरसाइज़ कैसे करें?

  • पेशाब रोकने वाली मसल्स को पहचानें।
  • उन्हें 5-10 सेकंड के लिए टाइट करें।
  • फिर उतने ही समय के लिए रिलैक्स करें।
  • दिन में 10-15 बार, 2-3 सेट करें।

ध्यान दें: सांस को न रोकें और पेट, जांघ या हिप्स की मसल्स को टाइट न करें।

कब डॉक्टर से सलाह लें?

अगर आपको यूरिन लीक, पेल्विक पेन, या डिलीवरी के बाद रिकवरी में देरी महसूस हो रही है, तो पेल्विक हेल्थ स्पेशलिस्ट से मिलें।

🏥 Harsh Hospital, Himatnagar में हमारी गाइनकोलॉजी और फिजियोथेरेपी टीम आपको पर्सनलाइज्ड पेल्विक हेल्थ प्रोग्राम देती है।

निष्कर्ष

केगल एक्सरसाइज़ एक छोटी-सी आदत है जो पेल्विक हेल्थ को मजबूत बनाती है और कई हेल्थ प्रॉब्लम्स से बचाती है। इसे रोज़ की दिनचर्या में शामिल करें और स्वस्थ जीवन जिएं।

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Thursday, August 14, 2025

देर रात तक जागना: मानसिक सेहत पर असर, कारण और बचाव के आसान टिप्स

देर रात तक जागना: मानसिक सेहत पर असर, कारण और बचाव के आसान टिप्स

 आजकल मोबाइल, टीवी, ओवरटाइम और सोशल मीडिया के कारण देर रात तक जागना एक आम आदत बन गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत धीरे-धीरे आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत को कमजोर कर सकती है? Harsh Hospital, Himatnagar आपको बताता है कि देर रात सोने से होने वाले नुकसान और इससे बचने के आसान उपाय क्या हैं।


1. नींद और मानसिक स्वास्थ्य का गहरा रिश्ता

  • नींद हमारे मस्तिष्क के लिए रिचार्ज बटन की तरह है। जब आप देर से सोते हैं, तो यह आपके मूड, एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है।


2. डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा

  • कई रिसर्च में साबित हुआ है कि देर रात सोने वालों में डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा ज़्यादा होता है। कारण है — नींद की अनियमितता से होने वाला हार्मोनल असंतुलन।


3. याददाश्त और एकाग्रता पर असर

  • सोते समय मस्तिष्क दिनभर की जानकारी को व्यवस्थित करता है। नींद की कमी से यह प्रोसेस रुक जाता है, जिससे याददाश्त कमजोर होती है और ध्यान भटकता है।


4. शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है असर

  • इम्यून सिस्टम कमजोर होना
  • ब्लड प्रेशर बढ़ना
  • मोटापे का खतरा बढ़ना
  • थकान और सुस्ती


5. समय पर सोने के आसान टिप्स

  • हर दिन एक ही समय पर सोना और उठना
  • सोने से पहले मोबाइल और टीवी बंद करना
  • हल्का और पौष्टिक डिनर लेना
  • ध्यान और रिलैक्सेशन करना


निष्कर्ष

देर रात तक जागना सिर्फ़ थकान ही नहीं लाता, बल्कि यह आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है। समय पर और पर्याप्त नींद लेकर आप स्वस्थ मस्तिष्क और शरीर पा सकते हैं।

📍 Harsh Hospital, Himatnagar 

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Monday, August 11, 2025

मेनोपॉज़ के दौरान पेट की अतिरिक्त चर्बी कम करने के 8 ज़रूरी टिप्स

मेनोपॉज़ के दौरान पेट की अतिरिक्त चर्बी कम करने के 8 ज़रूरी टिप्स

 मेनोपॉज़ महिलाओं के जीवन का एक प्राकृतिक चरण है, लेकिन इस दौरान हार्मोनल बदलाव, धीमा मेटाबॉलिज़्म और जीवनशैली के कारण पेट के आसपास अतिरिक्त चर्बी बढ़ना आम बात है। हालांकि, कुछ सावधानियों और आदतों से आप इस बढ़ते वजन को नियंत्रित रख सकती हैं।


1. संतुलित आहार लें

  • अपने भोजन में अधिक फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी फैट शामिल करें। प्रोसेस्ड फूड, शक्कर और तले हुए खाने से बचें।
  • उदाहरण: हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें, साबुत अनाज, नट्स।


2. नियमित व्यायाम करें

  • कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग दोनों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
  • उदाहरण: तेज़ चलना, योग, प्लैंक, स्क्वाट्स।


3. नींद पूरी लें

  • कम नींद हार्मोन असंतुलन पैदा कर सकती है, जिससे चर्बी बढ़ने का खतरा होता है। रोज़ कम से कम 7–8 घंटे सोएं।


4. पानी पर्याप्त पिएं

  • पानी शरीर से टॉक्सिन निकालने में मदद करता है और भूख को नियंत्रित रखता है।
  • दिन में 2–3 लीटर पानी पिएं।


5. तनाव कम करें

  • तनाव से कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जो पेट के आसपास फैट जमा करता है।
  • उदाहरण: मेडिटेशन, गहरी सांस लेना, मनपसंद हॉबी।


6. शराब और मीठे पेय से दूरी रखें

  • शराब और शक्करयुक्त पेय तेजी से कैलोरी बढ़ाते हैं और पेट के आसपास फैट जमा करते हैं।


7. छोटे-छोटे भोजन लें

  • दिन में 5–6 छोटे मील खाने से मेटाबॉलिज़्म एक्टिव रहता है और ओवरईटिंग से बचाव होता है।


8. डॉक्टर की सलाह लें

  • अगर अचानक वजन बढ़ रहा है या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं, तो गाइनेकोलॉजिस्ट या डाइटीशियन से संपर्क करें।


✅ निष्कर्ष

  • मेनोपॉज़ के दौरान वजन बढ़ना सामान्य है, लेकिन सही डाइट, व्यायाम और जीवनशैली से आप इसे आसानी से नियंत्रित कर सकती हैं।
  • Harsh Hospital, Himmatnagar में हमारे अनुभवी Gynecologist Dr. Hitesh Patel आपकी पूरी जांच और उचित इलाज के लिए उपलब्ध हैं।
  • 📍 पता: Harsh Hospital, Himmatnagar
  • 📞 मोबाइल / WhatsApp: 9913233538


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Sunday, August 10, 2025

पहली माहवारी डिलीवरी के बाद — कब डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है? 🤱🩸

पहली माहवारी डिलीवरी के बाद — कब डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है? 🤱🩸

 डिलीवरी के बाद महिलाओं के शरीर में कई बदलाव आते हैं। इन बदलावों में से एक है — पहली माहवारी का आना। बहुत सी माताएँ इस बारे में चिंतित रहती हैं कि यह कब आएगी, कैसी होगी और कब डॉक्टर से मिलना जरूरी है। आइए इस विषय को विस्तार से समझते हैं।


पहली माहवारी कब आती है?

  • नॉर्मल डिलीवरी या C-section के बाद, यदि आप स्तनपान नहीं करवा रही हैं तो पीरियड्स लगभग 6–8 हफ्ते में वापस आ सकते हैं।
  • यदि आप एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग करवा रही हैं, तो माहवारी कई महीनों तक नहीं आ सकती, कभी-कभी 6–12 महीने तक भी।
  • हर महिला का शरीर अलग होता है, इसलिए समय भी अलग-अलग हो सकता है।


पहली माहवारी के लक्षण

  • पीरियड का फ्लो पहले से अधिक या कम हो सकता है।
  • रंग गहरा या हल्का हो सकता है।
  • कभी-कभी पहले पीरियड्स में ब्लड क्लॉट्स (खून के थक्के) आ सकते हैं।
  • शुरुआती महीनों में पीरियड्स का साइकल अनियमित हो सकता है।


कब डॉक्टर से मिलना जरूरी है?

आपको तुरंत Harsh Hospital, Himmatnagar में डॉक्टर से मिलना चाहिए यदि:

  1. बहुत अधिक ब्लीडिंग हो रही है (1 घंटे में पैड बदलना पड़े)।
  2. बड़े आकार के ब्लड क्लॉट्स बार-बार आ रहे हों।
  3. ब्लीडिंग के साथ तेज़ बुखार, चक्कर या कमजोरी हो।
  4. पीरियड्स के साथ तेज़ दर्द हो जो सामान्य से अधिक हो।
  5. डिलीवरी के 3 महीने बाद भी माहवारी न आई हो और आप स्तनपान न करवा रही हों।


डिलीवरी के बाद पीरियड्स को स्वस्थ रखने के लिए सुझाव

  • संतुलित आहार लें और पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं।
  • आयरन और कैल्शियम युक्त भोजन करें।
  • पर्याप्त नींद और आराम लें।
  • नियमित हल्का व्यायाम शुरू करें (डॉक्टर की सलाह से)।
  • यदि कोई असामान्यता दिखे तो तुरंत गाइनेकोलॉजिस्ट से मिलें।


निष्कर्ष

डिलीवरी के बाद पीरियड्स का पैटर्न बदलना सामान्य है, लेकिन यदि ब्लीडिंग बहुत अधिक है, तेज दर्द है, या लंबे समय तक माहवारी नहीं आती, तो इसे नजरअंदाज न करें।Harsh Hospital, Himmatnagar में हमारे अनुभवी Gynecologist Dr. Hitesh Patel आपकी पूरी जांच और उचित इलाज के लिए उपलब्ध हैं।


📍 पता: Harsh Hospital, Himmatnagar

📞 मोबाइल / WhatsApp: 9913233538


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Friday, August 8, 2025

स्तनपान के ज़रूरी टिप्स – माँ और बच्चे के स्वस्थ भविष्य की चाबी

स्तनपान के ज़रूरी टिप्स – माँ और बच्चे के स्वस्थ भविष्य की चाबी

 स्तनपान (Breastfeeding) सिर्फ़ एक पोषण प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह माँ और बच्चे के बीच एक गहरा भावनात्मक बंधन भी है। माँ का दूध बच्चे के लिए पहली वैक्सीन की तरह है, जो उसे संक्रमणों और बीमारियों से बचाता है। WHO और UNICEF की सिफारिश है कि जन्म के पहले 6 महीनों तक केवल माँ का दूध ही दिया जाए।


🌸 स्तनपान के फायदे

1. बच्चे के लिए

  • पूरा पोषण: माँ के दूध में सभी ज़रूरी प्रोटीन, वसा, विटामिन और मिनरल्स मौजूद होते हैं।
  • इम्यूनिटी बूस्टर: एंटीबॉडीज़ और इम्यून फैक्टर्स संक्रमण से बचाते हैं।
  • बेहतर पाचन: माँ का दूध आसानी से पचता है और पेट की समस्याओं को कम करता है।
  • बॉन्डिंग: त्वचा से त्वचा का संपर्क बच्चे को सुरक्षा और प्यार का अहसास देता है।


2. माँ के लिए

  • प्रसव के बाद रिकवरी: गर्भाशय जल्दी अपने आकार में आता है।
  • वज़न कम करने में मदद: स्तनपान कैलोरी बर्न करता है।
  • स्तन और डिम्बग्रंथि (Ovary) कैंसर का ख़तरा कम करता है।
  • भावनात्मक संतुलन: ऑक्सीटोसिन हार्मोन माँ को शांत और खुश रखता है।


🍼 सफल स्तनपान के टिप्स

  • जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करें – इसे “गोल्डन आवर” कहा जाता है।
  • बार-बार दूध पिलाएँ – दिन में 8-12 बार, बच्चा जब चाहे।
  • सही पोज़िशन और लैच – बच्चा पूरे निप्पल और एरियोला को मुँह में ले।
  • केवल माँ का दूध – पहले 6 महीने तक कोई पानी, शहद, घुट्टी न दें।
  • माँ का संतुलित आहार – हरी सब्ज़ियाँ, दूध, दालें, और पर्याप्त पानी।
  • आराम करें – पर्याप्त नींद और मानसिक शांति बनाए रखें।


🚫 स्तनपान के दौरान किन बातों से बचें

  • धूम्रपान और शराब का सेवन
  • बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयाँ
  • अत्यधिक कैफीन


📌 कब डॉक्टर से संपर्क करें?

  • बच्चे का वज़न नहीं बढ़ रहा
  • स्तन में सूजन, दर्द या लालिमा
  • बच्चे को दूध पीने में कठिनाई


📞 Harsh Hospital, Himatnagar में

हमारे स्तनपान परामर्श (Lactation Counselling) सत्र में, माँ को सही पोज़िशन, दूध बढ़ाने के उपाय और स्तनपान से जुड़ी हर समस्या का समाधान मिलता है।


✅ निष्कर्ष

स्तनपान बच्चे की सेहत, माँ की सेहत और उनके रिश्ते – तीनों के लिए वरदान है। सही समय, सही पोज़िशन और सही जानकारी से यह अनुभव और भी सुखद बन सकता है।

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डिहाइड्रेशन (Dehydration): लक्षण, कारण और बचाव के आसान उपाय | Harsh Hospital, Himatnagar

डिहाइड्रेशन (Dehydration): लक्षण, कारण और बचाव के आसान उपाय | Harsh Hospital, Himatnagar   डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स...